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खाद्यतेल गहरी संकट में : शंकरभाई ठक्कर

सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए।

व्यापार हिंदूस्थान प्रतिनिधी,

मुंबई

‘वैश्विक स्तर पे खाद्यतेल की स्थिती बदल गई हैं। इससे खाद्यतेल महंगा हो रहा है । महंगाई बढ़ने का डर है। इसिलिए सरकार को आने वाले दिनों में मूल्य वृद्धि को रोकने के हेतू तत्काल कदम उठाने चाहिए।’, ऐसी गुहार अखिल भारतीय खाद्य तेल महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकरभाई ठक्कर ने की है ।

भारत दुनिया में खाद्य तेल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। भारत अपनी खाद्य तेल आवश्यकताओं का ७० प्रतिशत आयात करता है। इसमें से 80 प्रतिशत आयात किया जाता है। लगभग सभी रेस्तरां, होटल, पब, खाद्य स्टॉल ताड़ के तेल का उपयोग करते हैं। यही कारण है कि समग्र खाद्य टोकरी में पाम तेल की सबसे अधिक मांग है। भारत इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से खाद्य तेल का आयात करता है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए, इंडोनेशिया और मलेशिया ने पाम तेल के निर्यात शुल्क में वृद्धि की है, जबकि तीसरे सबसे बड़े उत्पादक थाईलैंड ने कम उत्पादन के कारण निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन सभी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है।

इसने भारत के पाम तेल आयात के गणित को परेशान कर दिया है। इस त्योहारी सीजन और आने वाली शादी के सीजन में खाने के तेल से आम आदमी की जेब हल्की होने की संभावना है और वर्तमान में दिवाली पर खुदरा बाजार में खाने के तेल की कीमत में १२ से १४ प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

शंकरभाई ठक्कर ने कहा कि, इस साल थाईलैंड में ८-९ लाख टन ताड़ का उत्पादन होने की संभावना है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में २५ प्रतिशत कम है। थाईलैंड ने इस साल ताड़ के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए इंडोनेशिया ने ताड़ के निर्यात की कीमत में ६८.३३ डॉलर प्रति टन (७.५ प्रतिशत) की वृद्धि की है । इससे ४८ घंटों के भीतर, पाम तेल और अन्य खाद्य तेलों की कीमत में ५ रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई है।

भारत बड़ी मात्रा में पाम तेल के साथ-साथ सूरजमुखी तेल का भी आयात करता है। सूची में रूस और यूक्रेन शीर्ष पर हैं। रूस ने ताड़ की बढ़ती कीमतों के बीच सूरजमुखी के तेल पर निर्यात शुल्क बढ़ाने का भी फैसला किया है। इन सब का निकट भविष्य में भारतीय खाद्य तेलों पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है। व्यापारी इस स्थिति से अवगत हैं और उन्होंने हमारे देश के नागरिकों से खाद्य मुद्रास्फीति के प्रभाव के लिए तैयार रहने का आग्रह किया है।

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