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छठ पूजा का ‘आत्मनिर्भर व्यापार’ १२ हजार करोड का – कैट

हमारे उत्सव, हमारी संस्कृती लाभदायी
व्यापार हिंदूस्थान प्रतिनिधी
मुंबई
भारतीय और हिंदू संस्कृति इस तथ्य पर आधारित है कि यह पूरे समाज को जोड़ती है। हर त्योहार पूरे समाज के हित के लिए होता है। यही कारण है कि दिवाली के बाद देश को ४ लाख करोड़ रुपये का कारोबार दिया, छठ पूजा ने भी देश को १२ हजार करोड़ रुपये का कारोबार दिया। यह एक प्रकार का आत्मनिर्भर व्यवसाय था।
कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया ५ नवंबर को नहाय-खाय से शुरू होकर ८ नवम्बर तक चलने वाले चार दिवसीय छठ पूजा महोत्सव के दौरान बिहार, उत्तर प्रदेश एवं झारखंड के अलावा देश के अन्य राज्यों में बसे पूर्वांचल के लोग बेहद उत्साह एवं उमंग के साथ छठ पूजा में शामील है। एक अनुमान के अनुसार देश भर में लगभग १५ करोड़ से अधिक लोग छठ पूजा में शामिल है।
महामुंबई के सभी भागों में भी बड़ी संख्या में पूर्वांचली लोग रहते है और गत अनेक वर्षों से मुंबई में भी छठ का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है और सैंकड़ों स्थानों पर छठ की पूजा पूर्ण विधि विधान से की जाती है । मुंबई में काळबादेवी, परेल, दादर,घाटकोपर,कुर्ला, बांद्रा, गोरेगांव,जोगेश्वरी,थाने, कल्याण,  नवी मुंबई आदि के बाज़ारों में लोगों द्वारा छठ पूजा का सामान ख़रीदने की रौनक़ लगी हुई है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया ने बताया कि बिहार एवं झारखंड के अलावा यह त्यौहार पूर्वी उत्तर प्रदेश, दिल्ली, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ विदर्भ एवं मध्य प्रदेश में भी बड़े ज़ोर शोर से मनाया जाता है क्योंकि इन सभी राज्यों में पूर्वांचल के लोग बड़ी संख्या में काम करते हुए अपनी आजीविका अर्जित करते हैं। यह  भारत की संस्कृति एवं सभ्यता है कि जहां छठ पूजा के दौरान उगते सूर्य के साथ पहले डूबते सूर्य की पूजा की जाती है जो इस बात को स्पष्ट दर्शाता है कि उगते के साथ तो सब होते हैं लेकिन भारत के लोग डूबते का भी सहारा बनते हैं और उसमें भी अपनी ख़ुशियाँ खोजते हैं।
कैट के अनुसार छठ पूजा में प्रयुक्त होने वाली सामग्री, जैसे बाँस के सूप, केले के पत्ते, गन्ना, मिठाई, फुल,फल और सब्जियों में विशेष रूप से नारियल,सेब, केला और हरी सब्जियाँ शामिल है। छठ पूजा के अवसर पर महिलाओं के पारंपरिक परिधानों, जैसे साड़ी, लहंगा -चुन्नी, सलवार कुर्ता और पुरुषों के लिए कुर्ता-पायजामा,धोती आदि की बड़ी खरीददारी हुई है। जिससे स्थानीय व्यापारियों को लाभ हुआ है और लघु एवं कुटीर उद्योग को भी बल मिला है वहीं घरों में छोटे पैमाने पर बनाये जाने वाले सामान की बड़ी बिक्री हुई।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं दिल्ली चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि ‘छठ पूजा केवल एक धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है जो सामाजिक एकता और समर्पण का प्रतीक है। इससे व्यापार और स्थानीय उत्पादकों को भी सीधा लाभ पहुँचता है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को और मजबूत बनाता है। छठ पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले अधिकांश उत्पाद बड़े पैमाने पर स्थानीय कारीगरों और हस्तशिल्पियों द्वारा बनाये जाते हैं जिससे उन्हें रोजगार के नए अवसर प्राप्त हुए हैं।
शंकर ठक्कर ने आगे कहा कि छठ पूजा के पर्व में महानगर मुंबई यानी कि एमएमआर क्षेत्र में करीब ४०० करोड़ से अधिक का व्यापार हुआ। यह पर्व न केवल आध्यात्मिक श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि व्यापार और रोजगार के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में उभरा है, जो आने वाले समय में भारतीय बाजारों को नई आर्थिक ऊर्जा देगा। छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपनी संतान और पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना को लेकर करती हैं।
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