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जीएसटी में और एक बदलाव आईएमएस सिस्टम और बॉयोमेट्रिक बना व्यापारियों के लिए सर दर्द
– रोजाना हो रहे नए-नए बदलावों से व्यापारी परेशान : शंकरभाई ठक्कर
व्यापारी हिंदुस्थान प्रतिनिधी
मुंबई
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद रोजाना हो रहे नए-नए बदलावों से व्यापारी लगातार परेशान होते आ रहे हैं। रोजाना बदल रहे अमेंटमेंट से लोखा-जोखा में बार-बार बदलाव करना पड़ता है।हर सप्ताह ही एक नया अमेंटमेंट आ जाता है।
नवंबर में ही लागू हुए नए नियम, अब रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को ओर भी जटिल कर दिया है। जीएसटी में अब हर बिल, इनवायस, चालान की ऑनलाइन एंट्री होगी और उसे स्वीकार या अस्वीकार करने का विकल्प भी दर्ज करना होगा। जीएसटी कॉमन पोर्टल पर इस नए सिस्टम को इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) के नाम से लागू किया गया है। इससे मेडिकल और किराना जैसे व्यापार कर रहे व्यापारियों की परेशानी बड़ गई है। हर बिल की एंट्री कराने में समय लगता है।
नया रजिस्ट्रेशन लेने की प्रक्रिया भी काफी जटिलजटिल हो गई है। जीएसटी नबंर लेने के लिए अब बायोमेट्रिक तरीके से आधार वेरिफिकेशन किया जाने लगा है। बायोमेट्रिक के लिए अब व्यापारी कार्यालय तक जाना होता है। जो इज- ऑफ-डूइंग बिजनेस के संकल्प से विपरीत है। यह व्यवस्था भी हाल में ही 29 नवंबर से शुरू हुई है। जीएसटी नंबर को लेकर देश भर में कई लाख व्यापारी काम कर रहे हैं। जीएसटी में आ रहे नए-नए बदलावों की वजह से व्यापारी भी रजिस्ट्रेशन कराने से डरता है। व्यापारी 20 लाख से कम व्यापार बताकर जीएसटी नंबर नहीं लेना ही उचित समझता है। शासन का इस ओर ध्यान नहीं है।
‘सीजीएसटी विभाग के द्वारा जो भी कर निर्धारण आदेश पारित किए जाते हैं, उनकी कमिश्नर अपील मुख्यालय के पास पेंडिंग रहती है। जिसकी पेशी करने में व्यापारियों एवं वकीलो को परेशानी आती है। यदि कमिश्नर अपील का माह में 1 से 3 दिन जिला स्तर पर कैंप कर सुनवाई की जाती है, तो इससे व्यापारियों और वकीलों को राहत मिलेगी। जीएसटी की वार्षिक रिटर्न 9 एवं 9 सी की अंतिम तिथि 31 दिसंबर होती है, जबकि पिछले वर्ष की गलती के सुधार कार्य करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर तक होती है, जो व्यवहारिक नहीं है। जब 31 दिसंबर तक रिर्टन फाइल होती है, तभी गलती की जानकारी मालूम होती है, जब तक सुधार की तारीख पहले ही निकल जाती है। सुधार कार्य की भी अंतिम तिथि 31 दिसंबर तक करनी चाहिए। बार-बार बदलाव में व्यापारियों की तरफ से कोई सुझाव नहीं मांगा जाता है। व्यापारियों को कोई जानकारी नहीं होती है और बदलाव कर दिए जाते हैं जिसके चलते व्यापारियों को कई परेशानियों का सामना उठाना पड़ता है इसलिए सरकार कोई भी अमेंडमेंट करने से पहले व्यापारियों को विश्वास में ले।’
शंकरभाई ठक्कर
राष्ट्रीय अध्यक्ष, कैट