– वायदा के नाम पर ‘खेला’ कर दामों में उठा पटक करवाने वालों बड़े सटोरियों पर लगेगा नियंत्रण : शंकरभाई ठक्कर
व्यापार हिंदूस्थान प्रतिनिधी,
मुंबई
‘कई कृषि उत्पादो के वायदा बाजार में लाने से बड़े सटोरियों द्वारा ‘खेला’ कर बाजार को अपनी मर्जी के मुताबिक मोड़ते हुए देखा गया है, इसलिए हमने सरकार से खाद्य तेल संबंधित उत्पादों के डेरिवेटिव वायदा कारोबार बंद करने की मांग २०१९ से शुरू की थी। सरकार ने देर से ही सही लेकिन पहली बार १९ दिसंबर २०२१ से कई उत्पादों पर प्रतिबंध लगाया था। बाद में इसे हर वर्ष १ साल के लिए प्रतिबंध को आगे बढ़ाया जा रहा है तथा अब जनवरी २०२५ तक बढाया गया है’, ऐसा अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं कॉन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री शंकरभाई ठक्कर ने स्पष्ट किया।
पिछले कुछ दिनों से तेल बाजार में मंदी का दौर शुरू हुआ है इसको ध्यान में रखते हुए तेल बाजार मैं अपने आप को बड़े संगठन कहने वाले कुछ संगठनों द्वारा इसे फिर से शुरू करने की मांग की थी। जबकि हमने तेल के दाम काफी ऊपर है इसलिए इसे शुरू न करने का अनुरोध किया था। हमारे अनुरोध पर और केंद्र सरकार के निर्देश पर कल देर शाम बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कच्चे पाम तेल, सरसों के बीज और उसके उत्पाद, सोयाबीन और उसके उत्पाद, गेहूं और मूंग समेत सात कृषि उत्पादों में ‘डेरिवेटिव’ कारोबार पर रोक को जनवरी २०२५ तक बढ़ा दिया है। सेबी ने धान (गैर-बासमती), चना, पर भी यह रोक लगाई है।
यह निर्देश शुरू में १९ दिसंबर, २०२१ को जारी किया गया था। शुरुआत में इसे २० दिसंबर, २०२२ तक के लिए निर्धारित किया गया था, लेकिन बाद में इसे दो बार बढ़ाया गया। पहली बार एक अतिरिक्त वर्ष के लिए, २० दिसंबर, २०२३ तक और फिर २० दिसंबर, २०२४ तक। अब, सेबी ने व्यापार प्रतिबंधों को ३१ जनवरी, २०२५ तक लागू रखते हुए निलंबन को बढ़ाने का निर्णय लिया है। शंकरभाई ठक्कर ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री, कृषि मंत्री एवं सेबी का आभार जताया है।