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शुभ दीपावली ! आलोक पर्व पर देशभर दिवाली की धूम

व्यापार हिंदुस्थान प्रतिनिधी
मुंबई

देशभर में दीपावली का वातावरण बना हुआ है। हमारे संस्कृति के इस प्रकाश के पर्व में हर कोई शामिल हो रहा है। हर किसी को सुख, शांति, समृद्धि तथा आनंद देने वाला यह उत्सव है, इसी लिए तो दीपावली यह आलोक का पर्व, ऐसी हमारी ऋषियों की कामना है, यह कहना है देश के सबके बड़े व्यापारी संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय मंत्री तथा अखिल भारतीय खाद्य तेल संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकरभाई ठक्कर का।

वे कहते हैं ऋषियों ने ‘ऋग्वेद’ में कहा है ‘जीवाज्योतिरशीमहि’ अर्थात् ‘हम प्रतिदिन जीवन जीते हुए ज्योति की उपलब्धि कर उससे उल्लासित होते रहें, मानव की अपूर्णता से पूर्णता की ओर उर्ध्वमुखी यात्रा ही है ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’। महर्षि वेदव्यास जी ने पांडवों की वन-यात्रा के समय युधिष्ठिर को आत्मिक दीपक को प्रज्वलित करने का दिव्य संदेश दिया था।

सत्याधारस्तपस्तैलं दयावर्ति: क्षमा शिखा।
अंधकार प्रवेष्ट्यो दीपो यत्नेन वार्यताम्।।

अर्थात् हे युधिष्ठिर, जब भी तुम्हारे जीवन में दु:खों, कष्टों का अंधकार आए, तो तुम यत्न से दीपक जलाना। ऐसा दीपक, जिसका आधार सत्य हो, जिसमें तेल तप यानी साधना का हो, जिसकी बाती दया की हो और शिखा से विकसित लौ क्षमा की हो। इसी तरह ११ या २१ दीपों को प्रज्वलित कर दीपावली की स्तुति निम्नलिखित मंत्र से की जाती है –

त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्द्रो विद्युदग्निश्च तारका:।
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः।।

सनातनियों का कोई भी धार्मिक अनुष्ठान बिना दीपक जलाए संपन्न नहीं होता। घरों में महिलाएं पूजा का जो दीप जलाती हैं, उसे ‘अर्चना-दीप’ / ‘पूजा-दीप’ कहा जाता है। मंदिरों में भगवान की प्रतिमाओं के समक्ष रखे जाने वाला दीपक ‘गर्भगृह-दीपक’ के नाम से सर्वविदित है। दीपावली के अवसर पर जलाए जाने वाले दीपकों को ‘दीपलक्ष्मी’ कहते हैं। तुलसी पौधे के नीचे शाम को घरों में महिलाएं जो दीपक रखती हैं, वह ‘वृंदा-दीपक’ कहलाती है।
ऐसी ही दीपावली की उपलक्ष्य में शंकरभाई ठक्कर ने ये संदेश सभी व्यापारी बंधुओं तथा राष्ट्रप्रेमी नागरिकों को दिया है।

एक दिया ऐसा भी हो,
जो भीतर तक प्रकाश करे,
एक दिया मुर्दा जीवन में,
फिर आकर कुछ श्वास भरे।

एक दिया सादा हो इतना,
जैसे साधु का जीवन,
एक दिया इतना सुंदर हो,
जैसे देवों का उपवन।

एक दिया जो भेद मिटाए,
क्या तेरा क्या मेरा है,
एक दिया जो याद दिलाए,
हर रात्रि के बाद सवेरा है।

एक दिया उनकी निमित्त हो,
जिनके घर में दिया नहीं,
एक दिया उन बेचारों का,
जिनको घर ही दिया नहीं।

एक दिया सीमा के रक्षक,
अपने वीर जवानों का,
एक दिया मानवता-रक्षक,
चंद बचे इंसानों का।

एक दिया विश्वास दे उनको,
जिनकी हिम्मत टूट गई,
एक दिया उस राह में भी हो,
जो कल पीछे छूट गई।

एक दिया जो अंधकार का,
जड़ के साथ विनाश करे,
एक दिया ऐसा भी हो,
जो भीतर तक प्रकाश करे।

दीपावली पर्व पर अभिलाषा :-

मिटे अंधेरा अंतर्मन का, साथी ऐसी ज्योति जलाओ।
जल जाए सब कलुष धरा का, दीपराग ऐसा कुछ गाओ।।

प्रेम, दया और मानवता का, सारे जग को पाठ पढ़ाओ।
आलोकित हो जाए जनमन, ऐसा जगमग दीप जलाओ।।

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